|
|
(6 dazwischenliegende Versionen von 2 Benutzern werden nicht angezeigt) |
Zeile 1: |
Zeile 1: |
| == 1.Übersetzung ==
| |
|
| |
|
| {|
| |
| |-
| |
| ! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
| |
| |-
| |
| | des wart er trvric vnde vnvro, || Darum war er sehr traurig,
| |
| |-
| |
| | er sprach: ,herre, wie kvmt ditz so, || er sprach: "Herr, wie kommt es,
| |
| |-
| |
| | daz mich ein voglin hat betrogen? || dass mich ein Vögelchen betrogen hat?
| |
| |-
| |
| | daz mvet mich, daz ist vngelogen.' || Das ärgert mich wirklich."
| |
| |-
| |
| | REinhart kvndikeite pflac, || Reinhart war listig,
| |
| |-
| |
| | doch ist hevte niht sin tac, || doch heute ist nicht sein Tag,
| |
| |-
| |
| | daz iz im nach heile mvege ergan. || dass es ihm gut ergehen könnte.
| |
| |} (V. 213-219)
| |
|
| |
| == 2. Übersetzung ==
| |
|
| |
| {|
| |
| |-
| |
| ! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
| |
| |-
| |
| | Do Reinhart die not vberwant, || Als Reinhart die Gefahr bewältigt hatte,
| |
| |-
| |
| | vil schire er den wolf Isengrin vant. || bemerkte er direkt den Wolf Isengrin.
| |
| |-
| |
| | do er in von erst ane sach, || Sobald er ihn sah,
| |
| |-
| |
| | nv vernemet, wie er do sprach: || hört nun, wie er dann sprach:
| |
| |-
| |
| | ,got gebe evch, herre, gvten tac. || "Herr, Gott soll Euch einen guten Tag schenken.
| |
| |-
| |
| | swaz ir gebietet vnde ich mac || Was auch immer Ihr befehlt und womit
| |
| |-
| |
| | evch gedinen vnde der vrowen min, || ich Euch und meiner Herrin dienen kann.
| |
| |-
| |
| | des svlt ir beide gewis sin. || Dessen könnt Ihr beide Euch sicher sein.
| |
| |-
| |
| | ich bin dvrch warnen her zv ev kvmen, || Ich bin hierhergekommen, um Euch zu warnen,
| |
| |-
| |
| | wan ich han wol vernumen, || als ich erfahren habe,
| |
| |-
| |
| | daz evdt hazzet manic man. || dass viele Menschen Euch hassen
| |
| |-
| |
| | wolt ir mich zv gesellen han? || Wollt Ihr mich als Partner haben?
| |
| |-
| |
| | ich bin listic, starc sit ir, || Ich bin klug, Ihr seid stark,
| |
| |-
| |
| | ir mochtet gvten trost han zv mir. || in mir findet Ihr guten Beistand.
| |
| |-
| |
| | vor ewere kraft vnde von minen listen || Eurer Kraft und meiner Klugheit
| |
| |-
| |
| | konde sidt niht gevristen, || könnte nichts standhalten
| |
| |-
| |
| | ich konde eine bvrc wol zebredten.' || Ich könnte sogar eine Burg zerstören."
| |
|
| |
| |} (V. 385-401)
| |
|
| |
| ==3. Übersetzung: Wortbelege "kvndikeit"==
| |
|
| |
| :{|
| |
| !Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
| |
| |-
| |
| |REinhart ''kvndikeite'' pflac, || Reinhart war listig,
| |
| |-
| |
| |} (V. 217)
| |
| :{|
| |
| :{|
| |
| !Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
| |
|
| |
| |do was im ''kvndikeite'' zit. || Da war es für ihn an der Zeit, aufmerksam zu sein.
| |
| |-
| |
| |} (V. 307)
| |
| :{|
| |
| :{|
| |
| !Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
| |
| |-
| |
| |do bedorfte er wol ''kvndikeit'': || nun brauchte er wirklich Einfallsreichtum:
| |
| |-
| |
| |} (V. 364)
| |
| :{|
| |
| :{|
| |
| !Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
| |
| |-
| |
| |siner amien warf er dvrch den mvnt || er zog seiner Geliebten seinen Schwanz
| |
| |-
| |
| |sinen zagel dvrch ''kvndikeit''. || mit Geschick durch das Maul.
| |
| |-
| |
| |} (V. 1163)
| |
| :{|
| |
| :{|
| |
| !Mittelhochdeutsch !! bersetzung
| |
| |-
| |
| |ez sold in wol erlozen || Er wurde wirklich von Reinhart
| |
| |-
| |
| |Reinhart mit siner ''kvndikeit''. || mit seiner List bestohlen.
| |
| |-
| |
| |} (V. 1420f.)
| |
| :{|
| |
| :{|
| |
| !Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
| |
| |-
| |
| |nieman evch gezelen mack || Niemand kann euch
| |
| |-
| |
| |Reinhartes ''kvndikeit''-, || Reinharts Scharfsinn erklären.
| |
| |-
| |
| |} (V. 1822f.)
| |
| :{|
| |
| :{|
| |
| !Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
| |
| |-
| |
| |Reinhart sich ''kvndikeite'' vleiz: || Reinhart bemühte sich um Geschick:
| |
| |-
| |
| |} (V. 2037)
| |
|
| |
| ==4. Übersetzung==
| |
| :{|"
| |
| !Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
| |
| |-
| |
| | alsvs lonet ir Reinhart, || So belohnte sie Reinhart
| |
| |-
| |
| | daz si sin vorspreche wart. || dafür, dass sie seine Verteidigerin war.
| |
| |-
| |
| | Iz ist ovch noch also getan: || So verhält es sich also (immer):
| |
| |-
| |
| | swer hilfet einem vngetrewen man, || Wer einem falschen Mann hilft,
| |
| |-
| |
| | daz er sine not vberwindet, || dass er seine Gefahr überwindet,
| |
| |-
| |
| | daz er doch an im vindet || und er an ihm dann doch Verlogenes findet,
| |
| |-
| |
| | valschs, des han wir gnvc gesehen || das kennen wir nur zu gut
| |
| |-
| |
| | vnde mvz ovch dicke alsam geschen. || und es muss auch oft genau so geschehen.
| |
| |-
| |
| | alsvst hat bewart || Au diese Art bewahrte sich Reinhart
| |
| |-
| |
| | sine vrteilere Reinhart. || vor seiner Verurteilung.
| |
| |-
| |
| | der arzet was mit valsche da, || Der Arzt war nämlich ein Betrüger,
| |
| |-
| |
| | den kvnic verriet er sa. || den König verriet er sogleich.
| |
| |-
| |
| | er konde mangen vbelen wanc. || Er war bewandert in vielen üblen, tückischen Steichen.
| |
| |-
| |
| |} (V. 2155-2167)
| |
| :{|
| |
| :{|
| |