|
|
(11 dazwischenliegende Versionen von 2 Benutzern werden nicht angezeigt) |
Zeile 1: |
Zeile 1: |
| '''Willkommen bei ''MediaeWiki''!'''
| |
| Lieber Felix H., stellen Sie bitte noch ca. 10-15 V. eigenständiger Übersetzung in die Inhaltszusammenfassung ein?--[[Benutzer:Bent Gebert|BG]] ([[Benutzer Diskussion:Bent Gebert|Diskussion]]) 12:32, 25. Mai 2020 (CEST)
| |
|
| |
|
| == Übersetzung Reinhart Fuchs (V. 213-219) ==
| |
|
| |
|
| |
| Mittelhochdeutsch
| |
|
| |
| des wart er truric unde unvro,
| |
| er sprach: "herre, wie kumt ditz so,
| |
| daz mich ein voglin hat betrogen?"
| |
| daz muet mich, daz ist ungelogen."
| |
| Reinhart kundikeite pflac,
| |
| doch ist heute niht sin tac,
| |
| daz iz im nach heile muege ergan.
| |
|
| |
|
| |
| Übersetzung
| |
|
| |
| Deshalb war er traurig und betrübt,
| |
| er sprach: „Herr, wie kommt es so,
| |
| dass mich ein Vöglein betrogen hat?“
| |
| Das ärgert mich, das ist ungelogen.“
| |
| Reinhart pflegte die List,
| |
| doch ist heute nicht sein Tag,
| |
| dass er sich Sorgen macht das Schicksal zu vollziehen/beenden. [Tip: Wort für Wort prüfen, z.B. "iz" = nhd. "es" usw., herzliche Grüße --[[Benutzer:Bent Gebert|BG]] ([[Benutzer Diskussion:Bent Gebert|Diskussion]]) 21:29, 26. Apr. 2020 (CEST)]
| |
|
| |
| == Übersetzung Reinhart Fuchs V. 385-401 ==
| |
|
| |
|
| |
| Mittelhochdeutsch
| |
|
| |
| Do Reinhart die not ubervant,
| |
| vil schire er den wolf Ysengrin vant.
| |
| do er in von erst ane sach,
| |
| nu vernemet, wie er do sprach:
| |
| „got gebe euch, herre, guten tac.
| |
| swaz ir gebietet unde ich mac
| |
| euch gedinen unde der vrowen min,
| |
| des sult ir beide gewis sin.
| |
| ich bin durch warnen her zu eu kumen,
| |
| wan ich han wol vernumen,
| |
| daz euch hazzet manic man.
| |
| wolt ir mich zu gesellen han?
| |
| ich bin listic, starc sit ir,
| |
| ir mochtet guten trost han zu mir.
| |
| vor ewere kraft unde von minen listen
| |
| konde sich niht gevristen,
| |
| ich konde eine burc wol zerbrechen.“
| |
|
| |
|
| |
| Übersetzung
| |
|
| |
| Als Reinhart die Not überstand, [Zeitenfolge: im Mhd. Präteritum, welches Tempus eignet sich dafür noch treffender im Nhd.?]
| |
| fand er ganz rasch den Wolf Ysengrin.
| |
| Als er ihn erst einmal ansah, [Sinn: Was ist damit gemeint?]
| |
| hörte er nun zu, wie er da sprach: ["nu vernemet" - an wen richtet sich der Imperativ?]
| |
| „Gott gebe euch, Herr, einen guten Tag.
| |
| Was ihr auch fordert, ich mag [mhd. 'mugen' bedeutet präzise...?]
| |
| euch und meiner Frau dienen, [mhd. 'vrouwe' = nhd. ....?]
| |
| das sollt ihr beide wissen.
| |
| Ich bin zu euch gekommen, um euch zu warnen,
| |
| weil ich wohl erfahren habe,
| |
| dass euch mancher Mann hasst.
| |
| Wollt ihr mich zum Freund haben?
| |
| Ich bin listig, ihr seid stark,
| |
| Ihr könnt zu mir großes Vertrauen haben.
| |
| Vor eurer Kraft und meinen Listen
| |
| könnte man sich nicht bewahren,
| |
| ich könnte wohl eine Stadt zerstören.
| |
|
| |
| == Verse mit Wortbelegen "kündikeit" ==
| |
|
| |
|
| |
| V. 217:
| |
| Reinhart kundikeite pflac,
| |
| Reinhart war gewöhnlich listig,
| |
|
| |
| V. 307:
| |
| do was im kundikeite zit.
| |
| Da war es Zeit für seine List/ Geschicklichkeit.
| |
|
| |
| V. 364:
| |
| Do bedorfe er wol kundikeit:
| |
| Da brauchte er wohl Geschicklichkeit:
| |
|
| |
| V. 1162 f.:
| |
| Siner amien warf er durch den munt
| |
| Sinen zagel durch kundikeit.
| |
| Seiner Freundin warf er mit List seinen Schwanz durch den Mund.
| |
|
| |
| V. 1420f.:
| |
| Ez sold in wohl erlozen Reinhart mit siner kundikeit.
| |
| Es sollte ihn wohl Reinhart mit seiner List erlösen.
| |
|
| |
| V. 1822f.:
| |
| Nieman euch gezelen mack Reinhartes kundikeit -,
| |
| Niemand kann euch von Reinharts List erzählen -,
| |
|
| |
| V. 2037:
| |
| Reinhart sich kundikeite vleiz:
| |
| Reinhart bemühte sich um List/ Geschicklichkeit/ Klugheit
| |
|
| |
| == Übersetzung V. 2155-2167 ==
| |
|
| |
| Mittelhochdeutsch
| |
|
| |
| alsus lonet ir Reinhart,
| |
| daz si sin vorspreche wart.
| |
| Iz ist ouch noch also getan:
| |
| swer hilfet einem ungetrewen man,
| |
| daz er sine not uberwindet,
| |
| daz er doch an im vindet
| |
| valschs, des han wir gnuc gesehen
| |
| unde muz ouch dicke alsam geschen.
| |
| alsust hat bewart
| |
| sine urteilere Reinhart.
| |
| der arzet was mit valsche da,
| |
| den kunic verriet er sa.
| |
| er konde mangen ubelen wanc.
| |
|
| |
|
| |
| Übersetzung
| |
|
| |
| Folgendermaßen dankt Reinhart ihr, [Präteritum]
| |
| dass sie seine Vorsprecherin war. [Bedeutung: "Vorsprecherin"?]
| |
| Es ist auch noch so beschaffen:
| |
| Wer auch immer einem untreuen Menschen hilft,
| |
| dass er seine Not überwindet,
| |
| dass er doch Schlechtes an ihm findet,
| |
| das haben wir oft genug gesehen
| |
| und es muss auch ebenso häufig wieder geschehen.
| |
| Folgendermaßen hat sich Reinhart vor [bitte nachschlagen u. korrigieren: mhd. "bewarn" + Akkusativobjekt = ?]
| |
| seinen Urteilsverkündern gehütet.
| |
| Der Arzt war mit Falschheit da,
| |
| den König verriet er sofort.
| |
| Er könnte auf einen bösen Streich verzichten. [Bedeutung: Geht das, was Reinhart unternimmt, noch als Streich durch?]
| |