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| == Minne und Gewalt: Kritik des Begehrens ==
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| ! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
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| | Reinhart sprach zv der vrowen: || Reinhart sprach zu der Herrin:
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| | ,gevatere, mochtet ir beschowen || Freundin, könnt ihr den großen Kummer
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| | grozen kvmmer, den ich trage: || erkennen, den ich mit mir trage:
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| | von eweren minnen, daz ist min clage, || Von eurer Zuneigung, das ist meine Sorge,
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| | bin ich harte sere wunt.' || bin ich völlig schmerzlich verletzt.
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| ("Reinhart Fuchs" V. 423–427)
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| ! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
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| | do gewan si schire schande genuc: || Das brachte ihr sofort reichlich Schande:
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| | sine mochte hin noch her, || sie konnte weder vor noch zurück,
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| | Reinhart nam des gvten war, || Reinhart nahm dies sofort war
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| | zv eime andern loche er vz spranc, || und eilte zu einem anderen Loch,
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| | vf sine gevateren tet er einen wanc. || um auf seine Freundin zu springen.
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| | Isengrine ein herzen leit geschach: || Isengrin tat dies in der Seele weh:
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| | er gebrvtete si, daz erz an sach. || er hielt mit ihr Hochzeit, so dass er es sehen konnte.
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| | Reinhart sprach: ,vil libe vrvndin, || Reinhart sprach: "Liebste Freundin,
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| | ir schvlt talent mit mir sin. || ihr sollt heute bei mir bleiben.
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| | izn weiz niman, ob got wil, || Niemand weiß, ob Gott es will,
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| | dvrch ewer ere ich iz gerne verhil.' || aber durch eure Verehrung verhülle ich es gerne.
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| | vern Hersante schande was niht cleine, || Frau Hersants Schande war nicht von geringer Bedeutung,
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| | si beiz vor zorne in die steine, || sie biss vor Wut in die Steine,
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| | ir kraft konde ir nicht gefrvmen. || doch ihre Kraft nützte ihr nichts.
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| ("Reinhart Fuchs" V. 1170–1183)
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| == Erzählstruktur als Interpretationszugang ==
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| ! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
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| | nv vernemet seltzene dinc || Nun hört die sonderbaren Ereignisse
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| | unde vremde mere, || und die wunderbaren Geschichten,
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| | der die glichesere || die der Heuchler
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| | v kvnde geit, wen si sint gewerlich. || euch verkündet, denn sie sind wahrhaftig.
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| | [ ] er ist geheizen Heinrich, || Er wird Heinrich genannt,
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| | der hat die bvch zesamene geleit || und hat die Schriften
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| | von Isengrines arbeit. || über Isengrims Leid zusammengefügt.
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| ("Reinhart Fuchs" V. 1784–1790)
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| == Reinhart Fuchs und die höfische Literatur ==
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| ! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
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| | Nv horet, wie Reinhart, || Nun hört, wie Reinhart
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| | der vngetrewe hovart, || der treulose Hofhund
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| | warb vmb sines neven tot. || sich um den Tod seines Neffen bemühte.
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| | daz tet er doch ane not. || Das tat er jedoch nicht aus einer Notlage heraus.
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| | Er sprach: ,lose, Dizelin, || Er sprach: 'Los, Dizelin,
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| | hilf mir, trvt neve min! || hilf mir, mein geliebter Neffe!
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| | dir ist leider miner not niht kvnt: || Leider kannst du dich in meine Notlage nicht hineinversetzen:
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| | ich wart hvete vru wunt; || Heute morgen bin ich früh aufgebrochen;
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| | der kese liet mir ze nahen bi. || Der Käse lag in meiner Nähe.
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| | er smecket sere, ich vurcht, er si || Er roch streng, sodass ich befürchten musste, er sei
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| | mir zv der wunden schedelich. || für meine Wunden schädlich.
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| | trvt neve, nv bedenke mich! || Lieber Neffe, nun kümmere dich um mich!
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| | dines vater trewe waren gvt, || Dein Vater war mir immer treu,
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| | ovch hore ich sagen, daz sippeblvt || ich habe gehört, dass das Blut der Sippe
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| | von wazzere niht vertirbet. || durch Wasser nicht verdorben werden kann.
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| | din neve alsvst erstirbet. || Dein Neffe kommt auf diese Weise um.
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| | daz macht dv erwenden harte wol. || Das könntest du schnell ändern.
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| | vom stanke ich grozen kvmmer dol. || Ich erleide großen Kummer bei diesem Geruch.
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| | Der rabe zehant hinnider vlovc, || Der Rabe flog gleich darauf hinunter,
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| | dar in Reinhart betrovc. || da Reinhart ihn durch seine Worte manipuliert hatte.
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| | er wolde im helfen von der not || Er wollte ihm in seiner Not helfen
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| | dvrch trewe, daz was nach sin tot. || und seine Treue unter Beweis stellen, doch dafür sollte er später mit dem Tod bezahlen.
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| ("Reinhart Fuchs" V. 253–274)
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| == Täter oder Opfer? Gerechtigkeit im Zwielicht ==
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| ! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
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| | alsvs lonet ir Reinhart, || Auf diese Weise dankte Reinhart ihr,
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| | daz si sin vorspreche wart. || dass sie seine Fürsprecherin wurde.
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| | Iz ist ovch noch also getan: || Es sei außerdem noch gesagt:
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| | swer hilfet einem vngetrewen man, || Wer auch immer einem unehrlichen Menschen hilft,
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| | daz er sine not vberwindet, || dass er seine Notlage übersteht,
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| | daz er doch an im vindet || und er an ihm dann doch Unehrenhaftes findet,
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| | valschs, des han wir gnvc gesehen || davon haben wir genug erlebt
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| | vnde mvz ovch dicke alsam geschen. || und es muss auch häufig so geschehen.
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| | alsvst hat bewart || So kümmerte sich Reinhart [Tip: bitte mhd. "bewarn" + Akkusativ nachschlagen!]
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| | sine vrteilere Reinhart. || um seine Urteilsverkünder. [Tip: "vrteilere" = "urteilaere" im Wörterbuch!]
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| | der arzet was mit valsche da, || Der Arzt war ein Betrüger,
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| | den kvnic verriet er sa. || der den König sofort täuschen konnte.
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| | er konde mangen vbelen wanc. || Er beherrschte manchen üblen Streich.
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| ("Reinhart Fuchs" V. 2155–2167)
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| == Verse mit Wortbelegen ‚kündikeit‘ ==
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| ! Vers !! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
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| | V. 217 || REinhart kvndikeite pflac, || Reinhart war klug,
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| | V. 307 || do was im kvndikeite zit. || Da kam ihm noch rechtzeitig seine Geschicklichkeit zur Hilfe.
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| | V. 364 || do bedorfte er wol kvndikeit: || Nun musste er geschickt vorgehen:
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| | V. 1163f || siner amien warf er dvrch den mvnt || Durch eine List warf er seine Minneherrin
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| | || sinen zagel dvrch kvndikeit || mit seinem Schwanz auf das Maul.
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| | V. 1420f || ez sold in wol erlozen || Mit Recht sollte Reinhart ihn
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| | || Reinhart mit siner kvndikeit. || mit seinem Wissen erlösen.
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| | V. 1822f || nieman evch gezelen mack || niemand könnte euch
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| | || Reinhartes kvndikeit -, || Reinharts Verschlagenheit beschreiben -,
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| | V. 2037 || Reinhart sich kvndikeite vleiz: || Reinhart übte sich in Geschicklichkeit:
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| ("Reinhart Fuchs")
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| == Reinhart der Sieger ==
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| ! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
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| | Do Reinhart die not vberwant || Als Reinhart diesen Schmerz überwunden hatte,
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| | vil schire er den wolf Ysengrin vant. || hörte er bald von dem Wolf Isengrin.
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| | do er in von erst ane sach, || Als er ihn zum ersten Mal sah,
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| | nv vernemet, wie er do sprach: || nun hört, wie er da sprach:
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| | 'got gebe evch, herre, gvten tac. || ‚Gott schenke euch, Herr, einen guten Tag.
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| | swap ir gebietet vnde ich mac || Was immer Ihr verlangt, ich will
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| | evch gedinen vnde der vrowen min, || euch und meiner Herrin dienen,
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| | des svlt ir beide gewis sin. || dessen sollt ihr euch sicher sein.
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| | ich bin dvrch warnen her zv ev kvmen, || Ich bin gekommen, um euch zu warnen,
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| | wan ich han wol vernumen, || weil ich gehört habe,
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| | daz evch hazzet manic man. || dass euch viele (Menschen) hassen.
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| | wolt ir mich zv gesellen han? || Wollt ihr mich zum Freund haben?
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| | ich bin listic, starc ist ir, || Ich bin klug und ihr seid stark,
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| | ir mochtet gvten trost han zv mir. || ihr würdet eine gute Unterstützung (Beistand) mit mir haben.
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| | vor ewere kraft vnde von minen listen || eure Kraft und meine Klugheit
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| | konnte sich niht gevristen, || können sich nicht aufhalten,
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| | ich konde eine bvrc wol zerbrechen.' || ich könnte gewiss eine Burg zerstören.
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| ("Reinhart Fuchs" V. 385–401)
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| == Reinhart der Verlierer ==
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| ! Mittelhochdeutsch !! Übersetzung
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| | des wart er trvric vnde vnvro, || Deshalb war er verzweifelt und betrübt,
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| | er sprach: 'herre wie kvmt ditz so, || er sprach: ‚Herr, wie kommt es,
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| | das mich ein voglin hat betrogen? || dass mich ein Vögelchen überlistet hat?
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| | das mvet mich, das ist vngelogen.' || das macht mir Sorgen, das ist wahr.’
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| | REinhart kvndikeite pflac, || Reinhart war von Klugheit,
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| | doch ist hevte niht sin tac, || doch heute war nicht sein Tag,
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| | daz iz im nach heile mvege ergan. || dass er von Gesundheit erfüllt sein möge.
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| ("Reinhart Fuchs" V. 213–219)
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